Friday, May 4, 2018

306.आ जाओ ना

आ जाओ ना
चलते चलते साथ छूट गए
तुम हाथों से हाथ मिलाओ ना।
मेरी सांसों की डोर टूट गई
थोड़ा दिल मे धड़क जाओ ना।
चलते राह तुम विछड़ गए
अब सपनो में ही आ जाओ ना।
जीवन से अब पतझड़ गए
तुम वसन्त बन खिल जाओ ना।
रेत पे लिखे नाम मिट गए
तुम इश्क़ समंदर बन जाओ ना
दिल में आग यूँ दहक गए
तुम सीने से लिपट जाओ ना
बाग में फूल यूँ महक गए
तुम गुलाब बन खिल जाओ ना।
इंतजार में जीवन गुजर गए
तुम प्यार बेहिसाब कर जाओ ना।
एहसास लफ़्ज़ों में उमड़ गए
तुम मेरी किताब बन जाओ ना।
ख्वाब तो यूँ ही बिखर गए
तुम आंखों में ही बस जाओ ना।
--    -- पंकज प्रियम
30.3.2018

No comments: