347.याद तो आएगी
आवाज़ हमारी तुम्हें याद दिलाएगी
वो बात हमारी तुम्हें रोज सताएगी।
वो बात हमारी तुम्हें रोज सताएगी।
जो साथ हमारे तूने साथ तो गुजारा
वो साथ हमारी तुम्हें याद तो आएगी।
वो साथ हमारी तुम्हें याद तो आएगी।
हर रात मैंने तुम्हें जो चाँद सा बनाया
वो रात हमारी तुम्हें बहुत ही रुलाएगी।
वो रात हमारी तुम्हें बहुत ही रुलाएगी।
ख्वाबों में अपने हरदम तुम्हें ही बसाया
क्या पता था ख्वाब मेरा ही बिखराएगी।
क्या पता था ख्वाब मेरा ही बिखराएगी।
उनकी खामोशी को लफ्ज़ों से सजाया
सोचा नहीं मेरे लब खामोश कर जाएगी।
सोचा नहीं मेरे लब खामोश कर जाएगी।
उनकी जफ़ाओं पे भी तो एतबार किया
सोचा नहीं प्रियम की,दिल तोड़ जाएगी।
©पंकज प्रियम
24.5.2018
सोचा नहीं प्रियम की,दिल तोड़ जाएगी।
©पंकज प्रियम
24.5.2018
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