Tuesday, May 1, 2018

मजदूर

मज़दूर
पेट की आग में ,मजबूर हो गया
घर का बादशाह मजदूर हो गया।
मजदूर दिवस की छुट्टी में हैं सब
उसे आज भी काम मंजूर हो गया।
दो जून की रोटी के जुगाड़ में ही
मजबूर अपने घर से दूर हो गया।
दिवस मनाएंगे सब एसी कमरों में
वो तो धूप में ही मसरूर हो गया।
बच्चों के दे रोटी,पानी पी सो गया
भूख में उसका,चेहरा बेनूर हो गया।
इक मजदूर कितना मजबूर प्रियम
थकान मिटाने, नशे में चूर हो गया।
©पंकज प्रियम
1 मई 2018
#मजदूर दिवस की शुभकामनाएं

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