ऐ चाँद!
ऐ चाँद बता तेरा मज़हब क्या है?
करवाचौथ में सुहाग का सहारा
तो ईद के त्यौहार का तू ईशारा।
ऐ चाँद बता तू किसका क्या है?
तू जमीं पे होता तो विवाद होता
धर्म मज़हब में तू फँसकर रोता
कोर्ट के चक्कर में तू भी पिसता
ऐ चाँद बता तेरी चाहत क्या है?
कभी तू चकोर की चाहत बनता
तुझमें माशूक का चेहरा दिखता
कभी बच्चों का तू बनता मामा है
ऐ चाँद! बता तेरा जेंडर क्या है?
तुझपे जाने की भी बड़ी चाहत है
जमीं पे उतारने की भी हसरत है
तुझे तोड़ लाने की सजा क्या है?
ऐ चाँद! बता न तेरी रजा क्या है?
कभी तू पूनम की पूर्ण शबाब है
आशिक के दिल का तू ख़्वाब है
कभी घटना और रोज ही बढ़ना
ऐ चाँद बता तेरा हिसाब क्या है?
©पंकज प्रियम
30.4.2018
No comments:
Post a Comment