Friday, April 6, 2018

देखते देखते-2

देखते देखते-2
क्या थे क्या हो गए,देखते देखते
वो यूँ खुदा हो गए,देखते देखते।

कभी बसते थे,हम उनके दिल में
वो यूँ जुदा हो गए,देखते देखते।

कई साल गुजारे, संग साथ हमने
छोड़कर यूँ हाथ गए,देखते देखते।

खाई थी वफ़ा की,तब ढेरों कसमें
कैसे बेवफा हो गए ,देखते देखते।

मेरी सोहबतों में दिन ,उनके गुजरे
शाम से वो ढल गए,देखते देखते।

मेरा ही अक्स था, आंखों में उनके
रात से वो बदल गए,देखते देखते।

खिले थे बनके कमल,झील उनके
पैरों से यूँ मसल गए,देखते देखते।

लिखे थे ग़ज़ल, मोहब्बत में उनके
कैसे यूँ बदल वो गए,देखते देखते।

सुबहो शाम गुजरते थे,बातें करते
कैसे गुमनाम कर गए,देखते देखते।

प्रियम नाम ही था,लबों पे उनके
कैसे बदनाम कर गए,देखते देखते।

©***पंकज प्रियम
6.4.2018

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