कोहिनूर हो गया
इश्क़ में दिल यूँ मजबूर हो गया
दिल जिसे दिया,वही दूर हो गया।
दोष नहीं कोई हमारी चाहत का
जिसे चाहा, वही मगरूर हो गया।
उनकी जफ़ाओं को वफ़ा समझा
दिल से बस, यही कसूर हो गया।
बेपर्द कर गए फ़साना मुहब्बत का
अफ़साना इश्क़ का मशहूर हो गया।
यूँ ही थोड़ी तारीफ क्या कर दिया
उन्हें हुश्न पे बहुत ही गुरुर हो गया।
उन्हें ढूंढते रहे चाँद सितारों में प्रियम
न समझा कि वो तो कोहिनूर हो गया।
©पंकज प्रियम
इश्क़ में दिल यूँ मजबूर हो गया
दिल जिसे दिया,वही दूर हो गया।
दोष नहीं कोई हमारी चाहत का
जिसे चाहा, वही मगरूर हो गया।
उनकी जफ़ाओं को वफ़ा समझा
दिल से बस, यही कसूर हो गया।
बेपर्द कर गए फ़साना मुहब्बत का
अफ़साना इश्क़ का मशहूर हो गया।
यूँ ही थोड़ी तारीफ क्या कर दिया
उन्हें हुश्न पे बहुत ही गुरुर हो गया।
उन्हें ढूंढते रहे चाँद सितारों में प्रियम
न समझा कि वो तो कोहिनूर हो गया।
©पंकज प्रियम
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