Wednesday, April 11, 2018

बेवफ़ा

बेवफ़ा
एक सजा उनकी भी मुक़र्रर कर देना साहेब!
जो साथ तो छोड़ गए,दिल भी मेरा तोड़ गए।

मैंने बढ़ाया था हाथ,वादा साथ निभाने का
कितने बेदर्द निकले,वो मेरा हाथ मरोड़ गए।

मेरी आंखों में उन्हें खुद का अक्स क्या दिखा
दिल उन्हें रोकता रहा मगर वो मुंह मोड़ गए।

 भीड़ में अक्सर वो, मेरा ही तो हाथ थामे रहे
अब जो फिर क्या मिले, तो वो हाथ जोड़ गए।

तन्हाईओं में हरकदम ,हम उनके ही साथ रहे
कोई और क्या मिल गया,मुझे तन्हा छोड़ गए।

उनकी जफ़ाओं को प्रियम,वफ़ा समझते रहे
और वो बेवफा! बेवफ़ाई कर दिल निचोड़ गए।
©पंकज प्रियम
11.4.2018

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