Friday, April 13, 2018

नारी जीवन

नारी जीवन
हर युग में हुआ है चीर हरण
नारी अस्मत लूटती हर क्षण
कभी अहिल्या,कभी द्रौपदी
मां सीता का भी हुआ हरण।

लेकिन तब की बात और थी
स्थिति आज से भी बेहतर थी
रावण की कैद में रहकर भी
माता सीता तब सुरक्षित थी।

आज तो अपने ही घर नारी
रोज ही असुरक्षित है बेचारी
बहसी दरिन्दों की नजऱ से
छुपती है किस्मत की मारी।

किस किस से बचती रहेगी?
किस किस से छुपती रहेगी?
गैरों की क्या?अपनों का
भी दंश कैसे सहती रहेगी?

दर्द आँसू,तनमन समर्पण
रोज करती खुशियां तर्पण
खुद मरती कर नव सृजन
जिंदगी कठिन नारी जीवन।

©पंकज प्रियम
13.4.2018

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