Thursday, April 19, 2018

कदम

एक कदम तुम,एक कदम हम बढ़ाएं
आओ मिलकर, हमकदम बन जाएं।
कदम दर कदम, हम यूँ ही बढ़ते जाएं
मंजिलों की राह हम आसान कर जाएं।
हमारे सुर में तुम्हारे भी सुर मिल जाएं
मिलकर हम, एक नई गीत रच जाएं।
जिंदगी में बस एक यही ख़्वाब सजाएं
हर कदम,पहले से भी बेहतर हो जाए।
गीले शिकवों को,अब तो हम मिटाएं
जीवन के कदम में, हमदम बन जाएं।
जो रुके तो, जिंदगी भी थम जाएगी
एक कदम ही सही, मगर चलते जाएं।
हौसलों के कदम, तब भी न रुक पाए
जो कभी राह में अंगार भी बिछ जाएं
©पंकज प्रियम
19.4.2018

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