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गुरुर
बड़ा गुरुर था समंदर को
पूरी दुनिया लहरों से डूबाने को
तभी एक बूँद तेल की
तैर कर पहुंच गयी किनारे को।
बड़ा मगरूर था वो
अपनी ही मुकद्दर दिखाने को
अपनी ही फूटी कश्ती
साहिल पे डूबो गयी मछुवारे को।
बहुत गुरुर था सिंकदर को
सारी दुनिया में परचम लहराने को
सिन्धु ने ही दिखा दी
मुकद्दर उसे वापस लौट जाने को।
वक्त से बड़ा कौन हुआ
है दुनियां का सिकन्दर यहाँ
वक्त ने लिख दी है
हर किसी का मुकद्दर यहाँ।
बड़ा गुरुर था उनको प्रियम
मगरूर हुश्न जलवा दिखाने को
खुद की नुमाइश में
बेपर्द कर गए अपने अफ़साने को।
©पंकज प्रिय।
6.4.2018
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गुरुर
बड़ा गुरुर था समंदर को
पूरी दुनिया लहरों से डूबाने को
तभी एक बूँद तेल की
तैर कर पहुंच गयी किनारे को।
बड़ा मगरूर था वो
अपनी ही मुकद्दर दिखाने को
अपनी ही फूटी कश्ती
साहिल पे डूबो गयी मछुवारे को।
बहुत गुरुर था सिंकदर को
सारी दुनिया में परचम लहराने को
सिन्धु ने ही दिखा दी
मुकद्दर उसे वापस लौट जाने को।
वक्त से बड़ा कौन हुआ
है दुनियां का सिकन्दर यहाँ
वक्त ने लिख दी है
हर किसी का मुकद्दर यहाँ।
बड़ा गुरुर था उनको प्रियम
मगरूर हुश्न जलवा दिखाने को
खुद की नुमाइश में
बेपर्द कर गए अपने अफ़साने को।
©पंकज प्रिय।
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