Saturday, April 7, 2018

दोस्ती

संशोधित/कैसी है आ. ममता दीदी🙏

दोस्ती
खुली आँखों का ख़्वाब है दोस्ती
ख्वाबों का हंसी, गुलाब है दोस्ती।
बन्द पलकों से भी जो सब पढ़े
दिल की खुली किताब है दोस्ती।

बचपन का खिलौना है दोस्ती
घर आँगन का कोना है दोस्ती
नाम जिंदगी कर जाने की
बन्दगी, सुबहोशाम है दोस्ती।

कर्ण जीवन, समर्पण है दोस्ती
कृष्ण सखा, सारथी है दोस्ती
राधा के धुन, मुरली बजे
सुदामा, कभी श्याम है दोस्ती।

हर सवाल का जवाब है दोस्ती
खूबरसूरत ,लाज़वाब है दोस्ती।
दिल की सारी बात जो पढ़े
वो मुहब्बत, बेहिसाब है दोस्ती।

कण कण फूल, पराग है दोस्ती
क्षण क्षण प्रेम, अनुराग है दोस्ती
जग रौशन को खुद जले
वो प्रकाश करती, आग है दोस्ती।

©पंकज प्रियम

No comments: