Friday, April 13, 2018

पाप

पाप
बहसी दरिंदे हर जगह होते है
नजरों में बस हवस भरे होते हैं।

क्या मन्दिर और क्या मस्जिद
खुदा ईश्वर भी क्या नहीं रोते हैं!

मन्दिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारा
जाकर अपना पाप सब धोते हैं।

बदनाम सिर्फ क्यों धर्म संस्थान
ये पाप घर स्कूल में रोज होते हैं।

हो गया है रिश्ता कलंकित इतना
कई तो बाप भी बेटी संग सोते हैं।

गुरु शिष्य का अब सम्मान कहां
स्कूलों में रोज ही हादसे होते हैं।

इसमें सियासत का चलता सिक्का
एक पे हल्ला,एक पे मौन रहते हैं।

ये अधर्म! नही है धर्म विशेष का
हर मज़हब में सब ये पाप ढोते हैं।

डूब मरो! सियासत करने वालों
तेरे ही कारण यहां हुई सब मौतें है।

©पंकज प्रियम
13.4.2018

No comments: