बंद!बंद!बंद!!
बंद करो अब बंद
मखमल पे ये
कैसा टाट का पैबन्द!
बात-बात,हर
बात पे होता है बंद।
और भी हैं
तरीके विरोध के,
फिर क्यूँ होता है बंद?
कभी मांग अपनी
कभी विरोध में ही
होता देश बंद, प्रदेश बंद।
लाठी डंडे की जोर में
बेमतलब की शोर में
खूब होता है यहाँ हुड़दंग।
रोड जाम,काम तमाम
हर तरफ जाम ही जाम
बेफजूल भी हो जाता है बंद।
राहगीरों का अपराध क्या है?
बच्चे यात्री का अपराध क्या है?
अरे!शर्म करो ,डूब मरो
मासुम पे तो रहम करो
आती आफत बंदी में
राहगीरों की हालत पस्त
अफसर की अफसरी मस्त
नेता नेतागिरी में व्यस्त
बेचारी जनता तो है गुलकंद।
बंद!बंद !!बंद!!
बन्द करो अब बन्द।
©पंकज प्रियम
2.4.2018
बंद करो अब बंद
मखमल पे ये
कैसा टाट का पैबन्द!
बात-बात,हर
बात पे होता है बंद।
और भी हैं
तरीके विरोध के,
फिर क्यूँ होता है बंद?
कभी मांग अपनी
कभी विरोध में ही
होता देश बंद, प्रदेश बंद।
लाठी डंडे की जोर में
बेमतलब की शोर में
खूब होता है यहाँ हुड़दंग।
रोड जाम,काम तमाम
हर तरफ जाम ही जाम
बेफजूल भी हो जाता है बंद।
राहगीरों का अपराध क्या है?
बच्चे यात्री का अपराध क्या है?
अरे!शर्म करो ,डूब मरो
मासुम पे तो रहम करो
आती आफत बंदी में
राहगीरों की हालत पस्त
अफसर की अफसरी मस्त
नेता नेतागिरी में व्यस्त
बेचारी जनता तो है गुलकंद।
बंद!बंद !!बंद!!
बन्द करो अब बन्द।
©पंकज प्रियम
2.4.2018
No comments:
Post a Comment