पानी है अनमोल....
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समझो तुम इसका मोल
पानी है कितना अनमोल।
जन- वन,जीवन-सृजन
का है ये अमृत सा घोल।
कह दो सारी दुनिया को
तुम बजाके अब तो ढोल।
बूँद बूँद को तरस जाओगे
न समझोगे पानी का मोल।
जल घिरी पर प्यासी धरती
बिन पानी नहीं दुनिया गोल।
अब नहीं अगर जो तुम चेते
केपटाउन सा होगा सब होल।
©पंकज प्रियम
21.2.2018
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