अनाथ
बच्चे बड़े चैन से बच्चों के संग सोते है
और बूढ़े माँ बाप घरों में अकेले रोते हैं।
पालने में वो अपनी जवानी खपा देते है
बच्चे बेआबरू कर वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं।
न हाल कभी पूछते न आँसू पोछ पाते हैं
भागदौड़ में अपने सृजन को भूल जाते हैं।
हाल जरा पूछ लो उनसे कभी फुर्सत में
जिन अभागों के पास माँ बाप नहीं होते है।
न सर पे बाप का हाथ,न माँ का ही साथ
सिसकते बचपन में ही कैसे जवाँ होते है।
खेलने कूदने की उम्र में वेवक्त बड़े होते हैं
खुले आसमान में ही कैसे अनाथ सोते है?
©पंकज प्रियम
25.4.2018
बच्चे बड़े चैन से बच्चों के संग सोते है
और बूढ़े माँ बाप घरों में अकेले रोते हैं।
पालने में वो अपनी जवानी खपा देते है
बच्चे बेआबरू कर वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं।
न हाल कभी पूछते न आँसू पोछ पाते हैं
भागदौड़ में अपने सृजन को भूल जाते हैं।
हाल जरा पूछ लो उनसे कभी फुर्सत में
जिन अभागों के पास माँ बाप नहीं होते है।
न सर पे बाप का हाथ,न माँ का ही साथ
सिसकते बचपन में ही कैसे जवाँ होते है।
खेलने कूदने की उम्र में वेवक्त बड़े होते हैं
खुले आसमान में ही कैसे अनाथ सोते है?
©पंकज प्रियम
25.4.2018
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