माँ!
ओ माँ!!
आँसू मत बहा
ये बहुत अनमोल हैं।
सहारा नहीं कोई
तो क्या हुआ
मैं हूँ न माँ!!
ओ माँ!
आँखों से
मोती मत गिरा
इनका बहुत ही मोल है
बनूँगा मैं सहारा
आँखों का तारा
मैं हूँ न माँ!!
ओ माँ!
कितने दुःख सहा
दुनियां तो बस गोल है
बनूँगा ध्रुव तारा
तेरा दुलारा
मैं हूँ न माँ!!
ओ माँ!
रो के मुझे न रुला
जीवन मे बहुत झोल हैं
करके कैसे गुजारा
तूने ही तो सँवारा
तू है न माँ!!
ओ माँ!
©पंकज प्रियम
25.4.2018
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