पत्नी पत्नी सब जपै,न समझे पति की पीर।
घर बाहर सब जगह,चलता उसपे बहुत तीर।
जो नजर पड़ोसन पड़ी,उठती दिल मे पीर
जो नजर बीबी पड़ी, मिलता घाव गम्भीर।
बिन बादल बरसे पत्नी,जाती बिजली गिर
अपने घर जब आती पड़ोसन लेकर खीर।
मनवा जो बाहर बसै, घर पे आता शरीर
बतवा सब पत्नी बुझे,मामला है गम्भीर।
गोपियों संग कान्हा नाचे,बनके बांका वीर।
राधा जो सन्मुख मिले, होता बहुत अधीर।
राधा राधा जपता माधव,बजे मुरली अधीर
राधा संग मनवा नाचे ,रुक्मिणी संग शरीर।
©पंकज प्रियम
8.4.2018
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