Thursday, April 19, 2018

सिक्कों की खनक

सिक्कों की खनक

जेब में सिक्कों की है भरमार
लेकिन फिर भी हैं बड़े लाचार
इन सिक्कों की कोई पूछ नहीं
हो गए हैं अब तो ये सब बेकार।

रुपयों की घट गई है अब कीमत
सिक्कों की नहीं, अब अहमियत
जो खनकते थे जेबों में हरदम
मिट गई अब, उनकी शख्सियत।

एक दो पैसे की, बात हुई पुरानी
रुपयों की भी बात हुई है बेमानी
बैंक में पैसा पर, जेब है निठल्ला
कैशलैस एटीएम की बनी कहानी।

कहते थे कभी की पैसा बोलता है
खनक सुनकर ही ईमान डोलता है
कोने में सिसकता पड़ा है सिक्का
नोट की किल्लत से खून खौलता है।
©पंकज प्रियम
18.4.2018

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