इन्तजार
हमारी चाहत पे कभी उन्होंने एतबार नही किया
उनकी मुहब्बत में कभी हमने इतवार नहीं लिया।
हमने रोज ही उनकी राह में खड़े ही इन्तजार किया
कुछ दूर हम क्या गए,तनिक मेरा इन्तजार न किया।
दिल की बहुत बाजी लगाकर, हमने यूँ इजहार किया
बेदर्द निकले वो बहुत,मेरी चाहत को इकरार न किया।
वर्षों तक फिर भी हमने, उनका बहुत इन्तजार किया
छीन ली सारी लबों की हंसी,हमने भी इनकार न किया।
उनकी मुहब्बत में हमने, दिल को यूँ बेकरार कर लिया
दिल रोता रहा मगर मेरी चाहत से कभी करार न किया।
©पंकज प्रियम
#HAPPY SUNDAY
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