गंदी सियासत
मत करो,इतनी गंदी सियासत
बीती है ,उसपे कैसी कयामत?
दर्द नहीं उसका, समझ पाओगे
बस धर्म का मुलम्मा चढ़ाओगे।
तुमने तो बस देखा हिन्दू उसमें
मासूम ने देखा उसमें,शैतान था
तुमने खोजा धर्म मुस्लिम उसमें
बच्ची में बसा सारा हिंदुस्तान था।
रोज यहां एक अशिफ़ा मरती है
रोज ही निर्भया यहाँ पर डरती है
जात नही,कोई धर्म नहीं इसमें
यहां हररोज नारी जिस्म कटती है।
धर्मों में बंट गई,अब यहाँ वेदना है
शर्मसार मानवता,मरी संवेदना है
हवसी नजरें,मासूमियत खा गई
धर्म को देख,लौटती यहां चेतना है।
©पंकज प्रियम
17.4.2018
मत करो,इतनी गंदी सियासत
बीती है ,उसपे कैसी कयामत?
दर्द नहीं उसका, समझ पाओगे
बस धर्म का मुलम्मा चढ़ाओगे।
तुमने तो बस देखा हिन्दू उसमें
मासूम ने देखा उसमें,शैतान था
तुमने खोजा धर्म मुस्लिम उसमें
बच्ची में बसा सारा हिंदुस्तान था।
रोज यहां एक अशिफ़ा मरती है
रोज ही निर्भया यहाँ पर डरती है
जात नही,कोई धर्म नहीं इसमें
यहां हररोज नारी जिस्म कटती है।
धर्मों में बंट गई,अब यहाँ वेदना है
शर्मसार मानवता,मरी संवेदना है
हवसी नजरें,मासूमियत खा गई
धर्म को देख,लौटती यहां चेतना है।
©पंकज प्रियम
17.4.2018
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