Thursday, April 12, 2018

ख़्वाब

ख़्वाब
बेवश निगाहों में यूँ उम्मीदें लहराई है
जीवन की आस लिए मां मुस्काई है।
कचरे से जिंदगी के ख्वाब बुन लाई है
मां के विश्वास में बेटी भी मुस्काई है।

बिखरे जीवन को तुझे ही सजाना है
बेटी तुझे बेटे से भी बढ़के दिखाना है
जो ख़्वाब है,हकीकत कर जाना है
बेटी तुझे मां की खुशी बनके आना है।

खुशियों ने आज भले मुंह मोड़ा है
पर उम्मीदों ने दामन नहीं छोड़ा है
बेटी तू तो आसमां में उड़ जाने का
मेरे ख्वाबों का सुंदर सतरंगी घोड़ा है।

तेरी आँखों में जिंदगी यूँ नजर आई है
कानून की आज फ़टी टोपी पहनाई है
देख जरा मेरे चेहरे पे जो खुशी आई है
तेरी हंसी में ही मैंने सारी खुशी पाई है।
----पंकज प्रियम
12.4.2018

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