साजिशों के लिए
हम तरसते रहे,बादलों के लिए
वो बरसते रहे,मनचलों के लिए।
वो बरसते रहे,मनचलों के लिए।
आशियाने बने,बिजलियों के लिए
वो महकते रहे,तितलियों के लिए।
वो महकते रहे,तितलियों के लिए।
हम तड़पते रहे,जुगनुओं के लिए
वो चाँद बन गए,मजनुओं के लिए।
वो चाँद बन गए,मजनुओं के लिए।
हम तो मरते रहे,अपनों के लिए
और वो मरते रहे,दुश्मनों के लिए।
और वो मरते रहे,दुश्मनों के लिए।
हम बदनाम हुए,ख्वाहिशों के लिए
वो बदनाम हुए,साजिशों के लिए।
©पंकज प्रियम
22.4.2018
वो बदनाम हुए,साजिशों के लिए।
©पंकज प्रियम
22.4.2018
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