उड़ान
कटे हैं पंख तो क्या? अभी जान बाकी है!
अभी तो नापी है जमीं,आसमान बाकी है।
मुट्ठी में बांध कर सारी जमीं,जहां सारा
हौसलों से भरना,अभी तो उड़ान बाकी है।
सूखी है जमीं तो क्या?अभी निशान बाकी है
बूँद बूँद पानी से भरना,समंदर यहां बाकी है।
दो बूँद है जिंदगी,सुख दुःख से भरी
अभी तो जगी है प्यास,पूरा अरमान बाकी है।
अपाहिज़ हैं तो क्या?जज्बा जहान बाकी है
देश नवनिर्माण का जन अभियान बाकी है
जज्बातों की है उठी ज्वार बड़ी
अभी तो अपने हौसलों की उड़ान बाकी है।
लूट गयी दौलत तो क्या?अभी शान बाकी है
मिट गई शोहरत तो क्या,पूरा सम्मान बाकी है
अपने उसूल के हम पूरे दीवाने हैं
जान गयी तो क्या,अपना स्वाभिमान बाकी है।
पंकज प्रियम
7.4.2018
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