अभिलाषा
सरल हमारी भाषा है
प्रेम सुधा परिभाषा है
और नहीं कुछ चाह मेरी
सहज सरस् अभिलाषा है।
प्रेम जीवन समर्पण है
हँसी बिखेरता दर्पण है
अपनी बनती राह मेरी
खुशी बिखेरता तर्पण है।
जीवन में अगर निराशा है
हर कदम एक नई आशा है
ख़्वाब अगम अथाह मेरी
लफ्ज़ समंदर की अभिलाषा है।
©पंकज प्रियम
7.4.2018
©पंकज प्रियम
No comments:
Post a Comment