Saturday, April 7, 2018

अभिलाषा

अभिलाषा

सरल हमारी भाषा है
प्रेम सुधा परिभाषा है
और नहीं कुछ चाह मेरी
सहज सरस् अभिलाषा है।

प्रेम जीवन समर्पण है
हँसी बिखेरता दर्पण है
अपनी बनती राह मेरी
खुशी बिखेरता तर्पण है।

जीवन में अगर निराशा है
हर कदम एक नई आशा है
ख़्वाब अगम अथाह मेरी
लफ्ज़ समंदर की अभिलाषा है।

©पंकज प्रियम
7.4.2018

©पंकज प्रियम

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