मैंने तो पूछा था,तुझसे चाँद की खबर
मगर यार तुम तो,खुद हो गए बेख़बर।
एक दरस को,वर्षो आँखे तरसती रही नम
तेरी मोहब्बत में,सोचो क्या हुआ है असर।
वर्षों तक करते रहे ,यूँ ही तेरा इंतजार हम
आंखों में ही कटी रातें,तन्हा ही रहा सहर।
रात की सोहबत में, बहुत रोयी है शबनम
यूँ ही नहीं खिले है, बाग में फूल इस कदर।
चंद खुशियों के तलबगार थे,तुम तो प्रियम
कदम दर कदम गम, देता रहा तेरा ये शहर।
©पंकज प्रियम
2.4.2018
मगर यार तुम तो,खुद हो गए बेख़बर।
एक दरस को,वर्षो आँखे तरसती रही नम
तेरी मोहब्बत में,सोचो क्या हुआ है असर।
वर्षों तक करते रहे ,यूँ ही तेरा इंतजार हम
आंखों में ही कटी रातें,तन्हा ही रहा सहर।
रात की सोहबत में, बहुत रोयी है शबनम
यूँ ही नहीं खिले है, बाग में फूल इस कदर।
चंद खुशियों के तलबगार थे,तुम तो प्रियम
कदम दर कदम गम, देता रहा तेरा ये शहर।
©पंकज प्रियम
2.4.2018
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