देखते देखते-5
लोग कैसे बदल गए देखते देखते
क्या थे क्या हो गए,देखते देखते।
रोज यहां लोग, जीने की आस में
जहां से यूँ गुजर गए,देखते देखते।
लोग यहाँ खुशियों की तलाश में
घर से बिछड़ गए,देखते देखते।
सोशल मीडिया में खो गए इतने
समाज से कट गए,देखते देखते।
बाँटते थे खुशियां,तब परिवार में
परिवार ही बंट गए,देखते देखते।
सेल्फिश हो गए,अब लोग इतने
खुद सेल्फी हो गए,देखते देखते।
©पंकज प्रियम
23.4.2018
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